विपरीत इसके दूसरे कथन में निषेध पक्ष पर ही जोर है, वही प्रधान बात है।
3.
आज जो वेदांत के अद्वैतवाद में इस निषेध पक्ष या संसार के मिथ्यात्व के ही पहलू पर जोर देने के कारण लोगों में अकर्मण्यता आ गई है वह गीताधर्म और गीता के इस महान मार्ग के छोड़ देने का ही परिणाम है।